
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से कई महीनों से स्कूल बंद हैं। बच्चे इस समय ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल टाइम शुरू होते ही ऑनलाइन क्लास लग जाती है। बच्चे घर से ही लैपटॉप, डेस्क टॉप या मोबाइल के जरिए इससे जुड़ रहे हैं। ऑनलाइन क्लास के जितने फायदे हैं उतने ही नुकसान भी, इसी को लेकर अभिभाभकों द्वारा ऑनलाइन क्लासेज के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है।
दरअसल, पीआइएल में याचिकाकर्ता ने कोर्ट से वर्चुअल क्लासेज को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के लिए यूनियन ऑफ इंडिया (UOI) को निर्देशित करने को कहा है। याचिकाकर्ता ने छात्रों के इंटरनेट पर उपलब्ध अप्रिय सामग्री के संपर्क में आने का खतरा जताया है।
यह याचिका डॉक्टर नंद किशोर गर्ग ने अपने वकील शशांक देव सुधी के जरिए सुप्रीम कोर्ट में फाइल करवाई है। यचिकारकर्ता ने कहा है कि छात्र इंटरनेट पर मौजूद अप्रिय सामग्रीयों के संपर्क में आ सकते है। इसके अलावा इंटरनेट पर अनगिनत ऐसी वेबसाइट हैं जो छात्रों के विकास और वृद्धि को प्रभावित कर सकती हैं।
यह है याचिका में मांग
सुधी ने एक मांग की है कि उत्तरदाताओं को तुरंत पूरी तरह से एन्क्रिप्टेड और सुरक्षित तरीके से ऑनलाइन कक्षाओं की मेजबानी के लिए व्यापक दिशा-निर्देश तैयार करने तक ऑनलाइन कक्षाओं को बंद करने का आदेश दिया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, दिशा-निर्देश में कई इंटरनेट-संचालित निषिद्ध वेबसाइटों की पहुंच को रोकने के लिए एक उचित तंत्र होना चाहिए जबकि ऑनलाइन कक्षाएं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सेशंस में होनी चाहिए।
इसके इतर सुधी ने सभी आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए कंप्यूटर डिवाइस उपलब्ध कराने की भी मांग की है। ताकि वो ऑनलाइन क्लासेज ले सकें। याचिकाकर्ता ने यह पीआइएल साइबर शिकारियों और अन्य ऑनलाइन ओपन संचालित वेबसाइटों के कारण छोटी कक्षा के छात्रों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए की है।
इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने कहा कि, वह ऑनलाइन क्लासेस के लिए समान रूप से विषम व्यवस्था को लेकर भी चिंतित हैं जो वर्तमान में समाज के संपन्न वर्ग के बच्चों तक सीमित हैं और कमजोर वर्गों के बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं के लाभ से वंचित हैं।
सुधी ने कहा कि देश के सभी बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेज की व्यवस्था व्यापक रूप से की जानी चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को कंप्यूटर डिवाइसेज सुनिश्चित किए जाने चाहिए। इसके अलावा लॉकडाउन के दौरान उनकी पढ़ाई का जो नुकसान हुआ है उसकी वैकल्पिक व्यवस्था भी की जानी चाहिए।
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