छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर और सुकमा जिले की सीमा पर शनिवार को हुए नक्सलियों के एक बड़े हमले में सुरक्षा बलों के करीब 22 जवान शहीद हो गए। नक्सलियों ने रॉकेट लॉन्चर से जवानों पर हमला किया था। अभी भी कुछ जवान लापता हैं जिनकी तलाश की जा रही है। वहीं करीब 31 जवान घायल भी हैं जिनमें से कुछ की हालत नाजुक बताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक, नक्सली ऊंची जगह पर जबकि सुरक्षाकर्मी खुले मैदान में थे। मौके पर लगभग 300 नक्सली मौजूद थे। इन नक्सलियों ने जवानों पर अचानक गोलीबारी शुरू कर दी। जवानों ने भी जवाब में मोर्चा संभाला और बहादुरी के साथ उनका मुकाबला किया। देर शाम तक चले ऑपरेशन के बाद 21 घायल जवानों को बीजापुर जिला अस्पताल ले जाया गया था जबकि गंभीर रूप से घायल 7 जवानों को इलाज के लिए हेलीकॉप्टर से रायपुर ले जाया गया।

हमले में 15 नक्सली भी हुए ढेर
जानकारी के मुताबिक, सुरक्षाबलों को जिला बीजापुर मुख्यालय से 75 किलोमीटर दूर सिलगेट गांव के पास के जंगल में नक्सलियों के दुर्दांत कमांडर हिडमा की मौजूदगी की खबर मिली थी। नक्सली कमांडर हिडमा मार्च 2020 में हुए उस हमले में भी शामिल था, जिसमें 17 जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा 2013 के झीरम घाटी हमले में भी वह शामिल था। जब सुरक्षाबलों की टीम वापस लौट रही थी तभी घात लगाए बैठे नक्सलियों ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी थी। जवाबी कार्रवाई में सेना के जवानों ने 15 नक्सलियों को भी मार गिराया है जबकि 20 घायल हैं। बीजापुर में सेना का सर्च ऑपरेशन जारी है।
असम दौरा रद्द कर दिल्ली लौटे अमित शाह
असम के सुआलकुची में रविवार को रैली कर रहे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस हमले के बारे में कहा कि नक्सली हमलों में सुरक्षाकर्मियों की मौत जैसी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसका उचित समय पर मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। शाह ने कहा कि मैं देश को भरोसा दिलाता हूं कि जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से फोन पर हालात की ताजा जानकारी भी ली और उन्हें हर तरह की मदद का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक को भी निर्देश दिए कि वे तुरंत छत्तीसगढ़ जाएं और वहां के हालात का जायजा लेने के साथ-साथ नक्सलियों को घेरने की नई रणनीति बनाएं। नक्सली हमले के बाद गृहमंत्री अमित शाह असम से दिल्ली लौट आए। असम में शाह की दो रैलियां होने वाली थीं, लेकिन नक्सली हमले के चलते दोनों रैलियां रद्द कर दी गईं।
हिडमा है हमले का मास्टमाइंड
इस हमले का मास्टरमाइंड नक्सली कमांडर हिडमा को बताया जा रहा है। पुलिस खुफिया विभाग और नक्सल विरोधी ऑपरेशन में शामिल पुलिस अधिकारियों की मानें तो हिडमा ने माओवादी नेता रमन्ना की जगह ली है। रमन्ना को कुछ साल पहले सेना ने मार गिराया था। उस पर करीब 14 करोड़ रुपए का इनाम था। कहा जाता है कि हिडमा रमन्ना से भी ज्यादा क्रूर और खूंखार है। छत्तीसगढ़ में अब नक्सली हमलों को अंजाम देने का जिम्मा हिडमा पर ही है। शनिवार को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ भी हिडमा को लेकर हुई थी। दरअसल सुरक्षाबलों को हिडमा के तर्रेम इलाके में होने की जानकारी मिली थी।उसी की तलाश के लिए एक ऑपरेशन शुरू किया गया था, लेकिन सुरक्षाबलों को इसमें कामयाबी नहीं मिल पाई, बल्कि उनके जवान खुद नक्सलियों के जाल में फंस गए। खबरों के मुताबिक, छतीसगढ़ पुलिस ने हिडमा पर 50 लाख रुपए का इनाम रखा है।
टीसीओसी अभियान के तहत किया गया हमला
जानकारी के मुताबिक, शनिवार को हुआ नक्सली हमला टीसीओसी ( टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैम्पेन) के तहत किया गया था। इस हमले का मकसद होता है ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा बलों पर हमला करना। फरवरी से मई के आखिरी हफ्ते तक माओवादी संगठन इस कैम्पेन को चलाते हैं। शनिवार को हुआ हमला इस कैंपेन का हिस्सा था। ऐसा इसलिए भी कहा जाता है कि हर साल मार्च से लेकर अप्रैल मई तक माओवादी बड़ा हमला करते हैं। नक्सल प्रभावित इलाका हो या फिर आतंकवाद से ग्रस्त कश्मीर और नॉर्थ-ईस्ट, हर जगह सुरक्षा बल रूटीन गश्त करते हैं। खासतौर से नक्सली टीसीओसी के तहत सुरक्षा बलों को अपने जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं। वे अपने ही लोगों से सुरक्षा बलों तक कई तरह की झूठी सूचनाएं पहुंचाते हैं- जैसे नक्सलियों के बड़े नेता एक जगह मीटिंग के लिए जमा होने वाले हैं या नक्सली बड़ी संख्या में जमा हो रहे हैं और किसी बड़े हमले को अंजाम दे सकते हैं। इसी तरह के हमले में इससे पहले एक साथ 76 जवान शहीद हो चुके हैं।
Like Soochna on

Follow Soochna on



