देशभर में कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लॉकडाउन को बढ़ाकर 3 मई तक के लिए कर दिया है। केंद्र व राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर इस संक्रमण को रोकने की कोशिश कर रही हैं। इस संकट के बीच भारतीय नौसेना ने भी एक ऐसी पहल की है जो इस वायरस से लड़ने में काफी मददगार साबित हो सकती है। नौसेना की दक्षिणी कमान ने आपातकालीन परिस्थितियों में कोरोना वायरस के मरीजों और संक्रमण के संदिग्धों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए एयर इवैक्युएशन पॉड (एईपी) का निर्माण किया है। इस पॉड के जरिए बिना संक्रमण फैले कोरोना के मरीज को युद्धपोत और अन्य जगहों से दूसरी जगह एयरलिफ्ट किया जा सकता है।

एईपी में नहीं है संक्रमण का खतरा
इस एयर इवैक्युएशन पॉड का डिजाइन पूरी तरह से स्वदेशी है और इसे दक्षिणी नौसेना कमान के कोच्चि नौसेना विमान यार्ड में बनाया गया है। एईपी एक तरह का पूरी तरह से सील किया हुआ पेशेंट ट्रांसफर कैप्स्यूल है, जिसमें सांस लेने के लिए उपकरण लगाए गए हैं। इसके इस्तेमाल से राहत दल और पायलट को वायरस के संक्रमण का खतरा खत्म हो जाता है। इस एईपी के जरिए कोरोना के मरीज को एयरलिफ्ट करने के बाद एयरक्राफ्ट को सैनिटाइज करने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। दक्षिणी नौसेना कमान की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस पॉड का इस्तेमाल किसी द्वीप या शिप में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने में किया जा सकता है।

50 हजार रुपए की लागत से बना पॉड
एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि इसमें पायलट और संक्रमित मरीज को ले जाने वाली टीम को संक्रमण लगने का कोई खतरा नहीं है और बाद में विमान को संक्रमण मुक्त करने की भी जरूरत नहीं है। प्रवक्ता ने बताया कि यह पॉड नौसेना एयर स्टेशन, आईएनएस गरुड़ के प्रधान चिकित्सा अधिकारी के मार्गदर्शन और नौसेना अस्पताल आईएनएचएस संजीवनी के विशेषज्ञों के परामर्श से विकसित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस पॉड का वजन 32 किलोग्राम है। इसके निर्माण में एल्यूमीनियम, नाइट्राइल, रबर और पर्सपेक्स (ट्रांसपेरेंट थर्मोप्लास्टिक) का इस्तेमाल किया गया है और इसे बनाने में 50,000 रुपए की लागत आई है। दक्षिणी नौसेना कमान के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते इस पॉड का ट्रायल भी किया था जोकि सफल रहा है। दक्षिणी नौसेना कमान के आधिकारिक बयान के मुताबिक, इस तरह के 12 एईपी बनाए जाएंगे और उन्हें दक्षिणी, पश्चिमी और पूर्वी नौसेना कमान सहित अंडमान और निकोबार नौसेना कमान को भी सौंपा जाएगा।
फरवरी में डायमंड प्रिंसेज क्रूज में फंसे थे यात्री
फरवरी के महीने में डायमंड प्रिंसेज क्रूज शिप में यात्रा कर रहे लोगों में भी कोरोना वायरस का संक्रमण पाया गया था। यह क्रूज शिप 50 देशों के 3700 से अधिक यात्रियों और क्रू सदस्यों के साथ फरवरी की शुरुआत में जापान के तट पर पहुंचा था। इस जहाज को उस समय अलग-थलग कर दिया गया था जब अधिकारियों ने हांगकांग में उतरे एक यात्री को कोरोना संक्रमित पाया था। इसके बाद शिप में फंसे करीब 200 लोगों को कोरोना संक्रमित पाया गया, जिसके कारण 100 से ज्यादा यात्रियों को उसी शिप में कई हफ्तों तक क्वारंटाइन में रखा गया था। ऐसी ही किसी परिस्थिति में दक्षिणी कमान द्वारा बनाया गया यह एयर इवैक्युएशन पॉड बहुत काम आ सकता है।
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