उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में आईटीबीपी के जवानों ने मानवता की मिसाल पेश की है। जहाँ एक शख्स की पत्थर की चपेट में आने से मौत हो गई। जिसके बाद आईटीबीपी के जवानों ने मानवता की मिसाल करते हुए लगातार जवानों ने 8 घंटे पैदल चलकर शव को उसके परिजनों तक पहुँचाया। जिसके बाद मृतक का अंतिम संस्कार किया गया।

Zee news की खबर के मुताबिक, 30 अगस्त को आईटीबीपी के जवानों को पिथौरागढ़ जिले के फारवर्ड पोस्ट के निकटतम गांव बाघडायर के स्यूनी गांव के 30 वर्षीय स्थानीय युवक की मौत की सूचना मिली थी। जिसके बाद हरकत में आते हुए सूचना मिलने के तुरंत बाद आईटीबीपी के जवान मौके पर पहुंचे और शव को सुरक्षित निकाला।
चूंकि बारिश का मौसम है, ऐसे में क्षेत्र में लगातार बारिश होने के कारण वाहनों के आवागमन के लिए सड़क को बंद कर दिया गया था। ऐसे में स्थिति को देखते हुए आईटीबीपी के जवानों ने स्थानीय निवासियों की मदद से शव को स्यूनी से करीब 25 किलोमीटर दूर मुनस्यारी तक स्ट्रेचर पर ले जाने का फैसला किया।
शव को उसके परिजनों तक पहुंचाने का मिशन 30 अगस्त को दोपहर में शुरू हुआ और उसी दिन शाम को करीब साढ़े आठ बजे समाप्त हुआ। जब शव परिजनों तक पहुँचा उसके बाद अंतिम संस्कार किया गया।
आठ जवानों ने घर तक पहुंचाया शव
आईटीबीपी के 8 जवानों ने मृतक को उसके घर तक पहुंचाने में मदद की। खराब मौसम के कारण जब कोई शव नहीं ले जा सका, तब आईटीबीपी के आठ जवानों ने यह बीड़ा उठाया और मृतक को उसके परिजनों तक सुरक्षित पहुंचाया।
रास्ते की अड़चनों में भी नहीं रूके जवान
आईटीबीपी के जवानों ने पहाड़ों पर दुर्गम रास्ते से होते हुए 8 घंटे तक पैदल चलकर शव को परिजनों के पास घर तक पहुंचाया। खराब मौसम के कारण परिवार का कोई सदस्य वहाँ नहीं जा सकता था। इसलिए जवानों ने खुद ही शव को परिजनों तक पहुंचाने का ठाना। हालांकि मुनस्यारी की सड़क बहुत कठिन और पत्थरों से भरी थी, लेकिन आईटीबीपी की टीम बहुत सावधानी से आगे बढ़ी और अड़चनों में भी नहीं रूकी।
अब इस घटना की चर्चा सब जगह हो रही है। अब लोग जवानों द्वारा पेश की गई मानवता की प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं।
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