देश में कोरोना वायरस के मामले थमते नजर नहीं आ रहे हैं। इसी के मद्देनजर पहले 21 दिन के लिए लगाए गए लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इस बीमारी से बचने के लिए जहां आम लोग अपने-अपने घरों में बंद हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो संकट की इस घड़ी में जान जोखिम में डालकर अपना फर्ज निभा रहे हैं। डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाईकर्मी व पुलिसकर्मी इस मुश्किल दौर में अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं ताकि देश को और देश के नागरिकों को इस खतरनाक बीमारी से बचाया जा सके। ये लोग अपने घर-परिवार से दूर रहकर यह कोशिश कर रहे हैं कि हम अपने परिवार के साथ सुरक्षित रह सकें। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उन पुलिसकर्मियों का योगदान भी काबिलेगौर है जो 12-12 घंटे ड्यूटी करके यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि लोग लॉकडाउन का पालन करें और अपने घरों से बाहर न निकलें।

बाईपास रोड पर तैनात हैं चित्रलेखा
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से जिले मैनपुरी में भी एक ऐसी महिला कॉन्स्टेबल हैं जो अपनी ड्यूटी के साथ-साथ मां होने का फर्ज भी बखूबी निभा रही हैं। इनका नाम है चित्रलेखा, जो अपने एक साल के बेटे को साथ लेकर ड्यूटी पर आती हैं। 25 साल की चित्रलेखा कहती हैं, ‘देश के लोगों की सेवा करना मेरा कर्तव्य है और मैं इससे पीछे नहीं हटूंगी। इस मुश्किल वक्त में देश की सेवा की सेवा करना ज्यादा जरूरी है। यह मेरे लिए सबसे ज्यादा अहमियत रखता है।’ चित्रलेखा लॉकडाउन शुरू होने के बाद से मैनपुरी के बाईपास रोड पर तैनात हैं और वह यहां से गुजरने वाले वाहनों की चेकिंग करती हैं। वह आगे कहती हैं, ‘कोरोना वायरस जैसी खतरनाक बीमारी के बारे में लोगों को जागरुक करना मेरी जिम्मेदारी है। मैनपुरी के लोग हमारे साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं और लॉकडाउन के नियमों का पालन भी कर रहे हैं।’
दिनभर कड़ी धूप में करती हैं काम
चित्रलेखा रोजाना 12 घंटे की ड्यूटी करती हैं। उनके दो बच्चे हैं, जिनमें से छोटे बच्चे को वह अपने साथ लेकर आती हैं। उन्होंने बताया कि उनका बेटा अभी छोटा है इसलिए उसे घर पर छोड़ना मुमकिन नहीं हैं। बाईपास पर ड्यूटी होने के कारण उन्हें दिनभर धूप में रहना पड़ता है, ऐसे में वह अपने बेटे को कपड़े से ढंककर रखती हैं। चित्रलेखा बताती हैं, ‘मैं थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ धोती रहती हूं और अपने पास हमेशा सेनेटाइजर भी रखती हूं।’ बच्चे की जिम्मेदारी निभाने के साथ ड्यूटी करना आसान नहीं है, लेकिन चित्रलेखा यह काम तब से कर रही हैं, जब उनका बेटा छह महीने का था। वह कहती हैं, ‘बेटे को साथ लेकर ड्यूटी पर आना मुझे अच्छा लगता है। ऐसे में मुझे उसकी चिंता नहीं रहती है। मुझे लगता है कि इस तरह से जाने-अन्जाने मेरे बेटे में भी देशभक्ति की भावना पैदा हो रही है।’

ड्यूटी के साथ बेटे का भी रखती हैं खयाल
चित्रलेखा इस काम में उनका सहयोग करने वाले सहकर्मियों, वरिष्ठ अधिकारियों और आम लोगों का भी आभार जताती हैं। चिलचिलाती धूप में कई बार उनका बेटा परेशान हो जाता है, लेकिन फिर भी वह देश के प्रति अपने फर्ज से पीछे नहीं हटतीं। इसी के साथ वो अपने बच्चे का ध्यान भी रखती हैं, ताकि उसकी तबीयत ना बिगड़े। उनके मुताबिक, ‘सभी लोग इस वक्त कड़ी मेहनत कर रहे हैं ताकि देशवासी सुरक्षित रह सकें। हम अपने देश के लोगों को तकलीफ में नहीं देखना चाहते। देश के डॉक्टर, नर्स और पुलिसवाले दिन-रात बिना थके अपना फर्ज निभा रहे हैं ताकि यह जानलेवा बीमारी खत्म हो सके और दूसरे देशों की तरह भारत में और तबाही न मचे।’
पुलिसवालों की संवेदनशीलता का ऐसा ही एक और उदाहरण पंजाब में भी दिखा। यहां लॉकडाउन के बीच पंजाब पुलिस ने एक बच्ची के पहले जन्मदिन को बेहद खास बना दिया। पुलिस के कुछ जवान बच्ची के जन्मदिन पर केक लेकर उसके घर पहुंच गए। बच्ची के परिवारवालों ने पंजाब पुलिस का धन्यवाद भी किया। ऐसे पुलिसकर्मियों, डॉक्टरों और अन्य लोगों को हम सलाम करते हैं जो अपनी जान की परवाह न करके हम सब की जान बचाने में जुटे हैं।
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