केरल की राजधानी तिरुवनन्तपुरम से 442 किलोमीटर दूर वायनाड जिले में एक गांव है पोजुथाना। यह गांव बीते साल उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब यहां के एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा में कामयाबी हासिल की थी। इस लड़की का नाम है श्रीधन्या सुरेश। श्रीधन्या ने शुक्रवार को कोझिकोड की नई असिस्टेंट कलेक्टर का पदभार संभाला। इसके बाद ट्विटर पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया। लोगों ने उन्हें बधाई देने के साथ-साथ उनके संघर्ष को सलाम किया। करीब 7 हजार की आबादी वाले गांव पोजुथाना की कुरिचिया जनजाति से ताल्लुक रखने वाली श्रीधन्या सुरेश की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायी है।

मजदूर पिता की बेटी ने दिखाया कमाल
केरल की पहली आदिवासी महिला आईएएस अधिकारी श्रीधन्या सुरेश ने महज 22 साल की उम्र में ऐसा कमाल कर दिखाया, जो नामुमकिन तो नहीं, लेकिन मुश्किल जरूर है। साल 2018 में 410वीं रैंक हासिल कर श्रीधन्या ने सिविल सेवा की परीक्षा पास की। वायनाड, केरल का आदिवासी इलाका है। यहां रोजगार और बुनियादी सुविधाओं की कमी है। यहां के लोग जंगलों में टोकरी व तीर-धनुष बनाकर और मनरेगा के भरोसे पेट पाल रहे हैं। श्रीधन्या के पिता भी दिहाड़ी मजदूर हैं और गांव के बाजार में तीर-धनुष बेचने का काम करते हैं। श्रीधन्या के पिता को गरीबी के कारण अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाने का मलाल था, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी को पढ़ने-लिखने का पूरा मौका दिया और आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई।
कॉलेज के समय ही तय कर लिया था लक्ष्य
अपने गांव पोजुथाना के सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद श्रीधन्या ने सेंट जोसेफ कॉलेज से जूलॉजी में स्नातक किया। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह कोझिकोड पहुंचीं और यहां के कालीकट विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके बाद श्रीधन्या केरल में ही अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में क्लर्क का काम करने लगीं। उन्होंने कुछ समय तक वायनाड में आदिवासी हॉस्टल की वॉर्डन का पद भी संभाला। कॉलेज के समय से ही श्रीधन्या ने सिविल सेवा में जाने का मन बना लिया था। क्लर्क और आदिवासी हॉस्टल की वॉर्डन की नौकरी करने के साथ-साथ उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारियां शुरू कर दी थीं। उन्होंने यूपीएससी के लिए ट्राइबल वेलफेयर द्वारा चलाए जा रहे सिविल सेवा प्रशिक्षण केंद्र में कुछ दिन कोचिंग भी की। उसके बाद वह तिरुवनंतपुरम चली गईं और वहां तैयारी की। इसके लिए अनुसूचित जनजाति विभाग ने श्रीधन्या की आर्थिक मदद की।
साक्षात्कार के लिए दिल्ली जाने तक के नहीं थे पैसे
श्रीधन्या के नाम केरल की पहली आदिवासी महिला आईएएस बनने का रिकॉर्ड दर्ज है। हालांकि इस कामयाबी के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है। मुख्य परीक्षा के बाद जब उनका नाम साक्षात्कार की सूची में आया, तो पता चला कि इसके लिए दिल्ली जाना होगा। उस समय श्रीधन्या के परिवार के पास इतने पैसे तक नहीं थे कि वह केरल से दिल्ली तक के सफर का खर्च उठा सकें। इसके बाद उनके दोस्तों ने चंदा इकट्ठा करके चालीस हजार रुपयों का इंतजाम किया और फिर श्रीधन्या दिल्ली पहुंच सकीं। उन्होंने तीसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की थी। मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में ट्रेनिंग करके लौटने के बाद श्रीधन्या दो हफ्ते तक तिरुवनन्तपुरम में क्वारंटाइन में रहीं और इसके बाद शुक्रवार को उन्होंने अपनी नौकरी ज्वाइन की।
ट्विटर यूजर्स ने कुछ यूं दी श्रीधन्या को बधाई –
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