भारतीय मूल की 23 साल की एक युवती ने अमेरिका में इतिहास रच दिया है और वह यूएस मिलिट्री एकेडमी से ग्रेजुएशन करने वाली पहली सिख बन गई है। न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक, सेकेंड लेफ्टिनेंट अनमोल नारंग ने वेस्ट प्वॉइंट मिलिट्री एकेडमी से न्यूक्लियर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन पूरा किया है। अनमोल एयर डिफेंस सिस्टम के क्षेत्र में करियर बनाना चाहती हैं। शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में अनमोल की ग्रेजुएशन सेरेमनी हुई। ग्रेजुएशन के बाद वह ओक्लाहोमा के फोर्ट सिल से बेसिक ऑफिसर लीडरशिप कोर्स (बीओएलसी) पूरा करेंगी। इसके बाद वह अमेरिकी वायुसेना में शामिल होंगी। उनकी पहली पोस्टिंग जनवरी 2021 में जापान स्थित अमेरिकी एयरबेस ओकीनावा में होगी।

भारतीय सेना का हिस्सा थे अनमोल के दादा
अमेरिका के एक सिख परिवार में अनमोल नारंग की परवरिश जॉर्जिया के रोजवेल में हुई। उन्होंने जॉर्जिया टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने वेस्ट प्वाइंट ज्वाइन किया, जहां से शनिवार को उन्होंने न्यूक्लियर इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की। अनमोल नारंग एक बयान में कहा, ‘मेरे दादाजी भारतीय सेना में थे। उन्हीं की प्रेरणा से मैंने सेना में जाने का फैसला लिया। बचपन से ही मेरी इसमें दिलचस्पी रही है और यह हमेशा से मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा रहा है।’ अनमोल जब हाईस्कूल में थीं तो उनका परिवार हवाई में पर्ल हॉर्बर नेशनल मेमोरियल देखने गया था। इसके बाद से ही उन्होंने वेस्ट प्वॉइंट मिलिट्री एकेडमी में दाखिला लेने की तैयारी शुरू कर दी थी। अनमोल नारंग की इस सफलता पर केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने भी ट्वीट कर खुशी जताई है।
सिख अमेरिकियों के लिए बनीं प्रेरणा
न्यूयॉर्क स्थित एक एनजीओ सिख कॉलिशन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में अनमोल नारंग ने कहा, ‘वेस्ट प्वाइंट से ग्रेजुएट होने का मेरा सपना पूरा हो गया है। इसे लेकर मैं बहुत उत्साहित हूं। मेरे लिए यह गर्व की बात है। जॉर्जिया में मेरे समुदाय ने मुझ पर भरोसा दिखाया और मेरी मदद की। यह सब कुछ मेरे लिए बहुत मायने रखता है। मैं अभिभूत हूं कि इस लक्ष्य तक पहुंचकर मैं अन्य सिख अमेरिकियों को यह दिखा रही हूं कि किसी के लिए भी करियर में कोई भी रास्ता चुनना मुमकिन है।’

अमेरिकी सेना में सिखों के दाढ़ी रखने पर था प्रतिबंध
साल 1987 में अमेरिकी कांग्रेस ने एक कानून पारित किया था, जिसने सेना में शामिल सिखों और कई अन्य धार्मिक समुदायों को उनके प्रतीक चिह्न इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा लिया था। सिख समुदाय के लोगों से कहा गया था कि वे न तो दाढ़ी रख सकते हैं और न ही पगड़ी पहन सकते हैं। इसी कारण सिख संगठन कई मानवाधिकार समूहों के साथ मिलकर 10 से ज्यादा साल से अमेरिकी सशस्त्र बलों में सिख अमेरिकियों के लिए अवसर की समानता सुनिश्चित करने के लिए अभियान चला रहे हैं।
सिख कैडेट ने दी थी कानून को चुनौती
2016 में अमेरिकी सेना में शामिल एक सिख कैडेट सिमरतपाल सिंह ने पगड़ी उतारने और बाल व दाढ़ी काटने के लिए मजबूर करने पर अमेरिका के रक्षा विभाग के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया था, जिसके बाद उन्हें बाल व दाढ़ी रखने और पगड़ी पहनने का अधिकार दे दिया गया था। सिमरतपाल सिंह अनमोल के परिवारिक मित्र हैं। उन्होंने इस बारे में कहा कि अनमोल ने उन सिख-अमेरिकियों के लिए रास्ते खोल दिए हैं जो सेना में जाने की इच्छा रखते हैं।
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